मै भारत हूँ।

मै भारत हूँ।
आज मे खुद को लिखना चाहता हूँ।।

समय से मिले घावो से भरा,
प्रेम पूर्ण भावो से भरा।
आज फिर सुबकना चाहता हूँ।।

मै भारत हूँ।
आज मे खुद को लिखना चाहता हूँ।।

तलवार की धार से,
शत्रु के वार से ।
आज फिर रूबरू होना चाहता हूँ।।

मै भारत हूँ।
आज मे खुद को लिखना चाहता हूँ।।

काल में महाकाल सा ,
धरती मे भूचाल सा ।
खुद को बनाना चाहता हूँ।।

मै भारत हूँ।
आज मे खुद को लिखना चाहता हूँ।।

नदियों की धार सा ,
शीतल ब्यार सा ।
फैल जाना चाहता हूँ।।

मै भारत हूँ।
आज मे खुद को लिखना चाहता हूँ।।

धरती से नीचे तक हूँ,
गगन से भी पार हूँ ।
अतंरिक्ष से भी पार पैर जमाना चाहता हूँ।।

मै भारत हूँ।
आज मे खुद को लिखना चाहता हूँ।।

विश्व के मानचित्र पर ,
आकार बढाने का दम है ।
पर हद मे रहकर पहचान बनाना चाहता हूँ।।

मै भारत हूँ।
आज मे खुद को लिखना चाहता हूँ।।

धर्म को में क्या बाटूँ,
सब मेरे ही तो बच्चे है।
मै तो हर भारतीय को सम्मान दिलाना चाहता हूँ।।

मै भारत हूँ।
आज मे खुद को लिखना चाहता हूँ।।


तारीख: 22.06.2017                                    रामकृष्ण शर्मा बेचैन









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