मत पूछ मेरी गरीबी का हाल पूछने वालो
की कभी भूखा भी सोया हूँ
कभी नंगा भी सोया हूँ
जो मिली न छत
सड़को पे भी सोया हूँ
कभी भिखारी
चोर , आवारा , नाकारा
कभी अपने बारे में अच्छा सुनने को भी रोया हूँ
मेरा दर्द नहीं समझ पाओगे
पत्थर को छप्पन भोग लगाने वालो
मैं एक रोटी के लिए भी रोया हूँ
मेरे आँखों में नमी आ जाती है
किस्मत अपनी देख कर
इन आँखों का साथ देने के लिए भी रोया हूँ