मेरा प्यारा बच्चा

अजी सुनते हो…
क्या हुआ भाग्यवान? 
अजी, डर सा लग रहा है,
क्यों? 

आज सुबह से मुन्ना हिल क्यों नहीं रहा है 
अरे अरे अरे….. 
लात मारता है पेट में 
देखिए तो, देखिए तो…… 
कैसे लात मार रहा है, अपनी मां को
देखना जरा, तोङ ना दे कहीं तुझे 
अजी इसके लिए तो टूट भी जाऊं तो बलिहारी…. 

अच्छा जी….. 
हां, जी…… उम्म्मामामाह्ह्ह, मेरा प्यारा बच्चा…..
सून तो जरा, क्या लिखा है आज के विज्ञान पत्रक में 
हां जी, क्या लिखा है? 
लिखा है कि, 
मनुष्य का शरीर अधिकतम 18 डेल का दर्द सहन कर सकता है 
लेकिन प्रसव के समय इक औरत, 
42 डेल का दर्द झेल जाती है, जो कि 20 हड्डियों के एक साथ टूटने के समकक्ष है
तो, आप मुझे क्यों बता रहे हैं…. 
अरे, मैं तो पढ के हैरानी हो रहा था कि, कैसे?? 
अजी, इसमें हैरानी की क्या बात है…. 
इक बार मनुष्य की जगह “मां” शब्द रख के पढिये, 
आपकी शंका का समाधान स्वतः हो जायेगा 
अच्छा जी….. 

हां, जी…… उम्म्मामामाह्ह्ह, मेरा प्यारा बच्चा…..
आआआआऽऽऽऽऽऽ, 
आआआआऽऽऽऽऽऽ, 
क्या हुआ, डाकडर बाबू, इतनी देर काहे लग रहा है?? 
देखिये, बच्चा उल्टा है
और 
मां कि हालत काफी खराब हो गई है 
हम मां और बच्चे में से किसी एक को ही बचा सकते हैं 
लेकिन, आपकी पत्नी मान ही नहीं रही है 
वो कह रही है, 
मैं चाहे बचूं या ना बचूं 
पर मेरे बच्चे को कुछ नहीं होना चाहिए….. 
हम एक आखिर कोशिश करने जा रहे हैं 
बाकि हरि इच्छा…… 
उआं उआं उआं उआं उआं उआं
बधाई हो, बेटा हुआ है, 
और मैं तो हैरान हूं कि, 
ये औरत ना जाने कैसे इस सब से गुजर गयी…. 
औरत नहीं डाकडर साब
इक बार औरत की जगह “मां” शब्द रख के पढिये, 
आपकी शंका का समाधान स्वतः हो जायेगा 
अच्छा जी….. 

हां, जी…… उम्म्मामामाह्ह्ह, मेरा प्यारा बच्चा…..
ये लिजिये आपका डिस्चार्ज कार्ड 
और हां, 
प्रसव के दौरान अधिक रक्तस्राव होने से ये काफी कमजोर हो गई हैं 
अगर ये बच्चे को कुछ दिन दुध ना पिलायें, 
तो कमजोरी से जल्दी उभर पायेंगी….. 
जी, डाकडर साहब…… 
उआं उआं उआं उआं उआं उआं
उआं उआं उआं उआं उआं उआं
अरे, आप मुझे दिजिये ना इसे…. 
नहीं, मैं तुम्हें नहीं दूंगा, ये अभी चुप हो जाता है 
अजी, दे दिजिये 
मैं इसे दुध ना पिलाकर तो बचूं या ना बचूं 
पर
अगर ये यूं ही रोता रहा, तो मैं पक्का ही मर जाऊंगी…. 
आपके हाथ जोङती हूं, दे दिजिये ना
ठिक है ये लो…. 
ये देखिए, जरा सा दुध पीते ही चुप हो गया ना
वो तो ठिक है भाग्यवान, पर डाकडर ने कहा था कि…. 
अजी छोङिये डाकडर को
डाकडर बाबू ने बिज्ञान पढा है मां नहीं न पढी है ना….. 
उम्म्मामामाह्ह्ह, मेरा प्यारा बच्चा…..

अजी सुनते हो
यस डार्लिंग, व्हाट हेपन्ड??? 
सुनो, तुम्हारे बाबूजी के जाने के बाद, 
तुम्हारी मां पागल हो गई है….. 
कल इतना महंगा गिलास तोङ दिया….. 
जरा सा भी सहन नहीं कर सकती, 
जब देखा सिर दर्द, बदन दर्द करती रहती है….. 
कहती है कि, बिना दूध के रोटी नहीं चबाई जाती है, 
जैसे दुध ना मिले तो कोई मर ही जाता हो….. 
मुझसे इसकी फरमाइशें पूरी नहीं होती…. 
आप आज जो कुछ भी हो, 
अपने दम पर बने हो, 
ये सब बंगला, गाङी, मोटर कार आपने बनाया है 
इस बुड्ढे बुढिया ने हमारे लिए किया ही क्या है…. 
ऊं ऊं ऊं ऊं ऊं ऊं
आप इसे वृद्धाश्रम छोड़कर आइये, वरना मुझे छोड़ दिजिये
अगले रोज….
सूनो…. 
जी आई….. 

ये लो, यहां साईन करो
ये क्या है जी??? 
तलाक के और मां के वृद्धाश्रम के कागजात
डिवोर्स पेपर…..लेकिन मेरा मैं और मेरा बच्चा आपके बिना जियेंगें कैसे??? 
क्यों, इसमें क्या है
जैसे वृद्धाश्रम में मेरी मां जियेगी, वैसे तुम जी लेना
अगर वो बुढिया अकेली जी सकती है 
तो तुम्हारे पास तो फिर भी तुम्हारा बेटा है 
और 
आज अगर मैंने केवल मां को घर से निकाला 
तो 
बुढापे में जब मेरा बेटा मुझे निकालेगा 
उस वक्त शायद मैं अकेलापन झेल ना पांऊ 
तो अच्छा है कि आज से ही ऐसे जीने का प्रयास शुरू कर दूं…… 
नहीं, हमारा बेटा हमारे साथ कभी ऐसा नहीं करेगा 
क्या मैं पूछ सकता हूं कि आपका बेटा ऐसा क्यों नहीं करेगा? 
क्योंकि मैंने उसे अपना खुन पिलाकर पाला है…. 
तो फिर मेरी मां ने मुझे कैसे पाला है??? 
मुझे माफ कर दिजिये, 
मुझसे बहुत बङी भूल हो गई……
उधर मां ने सारी बात सुनने के बाद 
प्राण त्यागने से पहले 
आखिरीबार 
इक बार फिर से शायद यही कहा होगा
“उम्म्मामामाह्ह्ह, मेरा प्यारा बच्चा…..”


तारीख: 02.07.2017                                    उत्तम दिनोदिया









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है