मेरे होने की व्यथा और उम्मीद

जन्म हुआ था जब मेरा,
था माहौल बडा ही उत्साहपूर्ण तब,
लोग होने से लगे थे आश्वस्त,
सुखद होगा मानो सब सुखद होगा,
कि कल्पना में..।

वो चेहरे जो सदियों से,
थे अभिशप्त,ढोते रहने को,
मायूसी का आवरण,
अनायास ही उन चेहरों पर,
दिखी थी एक चमक,
मेरे जन्म के बाद..।

रही,हाँ जरूर कायम रही,
कुछ समय तक यह छद्म उम्मीद रुपी डोर,
पर जैसे-जैसे गुजरता गया समय,
पडने लगी,कमजोर सी वो डोर,उम्मीद की..।
जारी रही यह प्रक्रिया अनवरत,
क्योंकि इसके थे अपने ही निहितार्थ,
शायद मेरे अस्तित्व से अधिक आवश्यक हुआ,
अब निजी हितों का फलिभूत होना..।

सियासत गाय जो बन गई थी,
दुधारू गाय ।
सियासतदां दूहने में थे मशगूल,
उस गाय को,
मेरे अस्तित्व की कीमत पर ।
कदाचित मेरा अस्तित्व,
उनके लिए नही था महत्वपूर्ण,
होता भी क्यों ? मेरे सशक्त वजूद से,
खतरा जो था उनकी गाय को ,
उस दुधारू गाय को ।

अत: उन्होने प्रयास किए यथासम्भव,
मुझे कुपोषित करने को,
और होता गया कमजोर मैं सतत् 
कहने को चार पैर हैं मेरे,
पर होता रहता है, हर पल,
अहसास मुझे लंगडेपन का ।

उस कुपोषण का असर शायद,
दिख रहा है मेरे पैरों पर भी,
तभी तो अनुभव होता है मुझे,
उनके अन्दर ही अन्दर,
खोखला सा होते जाने का ।

ऐसा नहीं की मैं कमजोर हूँ,
उस मंशा के लोगों के कारण,
जो चाहते हैं कि मैं चला जाऊँ गर्त में,
बल्कि मेरी इस दशा के कारक ,
हैं , वा लोग, जो चाहते तो हैं,
कि बनूँ मैं मजबूत,रहूँ सशक्त,
पर कुछ करने कि बजाए,
बैठे रहते हैं वो,
हाथ पर हाथ धरे ।

अनभिज्ञ हूँ मैं,क्या होगी,दशा-दिशा
मेरे भविष्य की ?
पर फिर भी, करता रहा हूँ अम्मीद,
जागें वो लोग शायद कभी,
जो चाहते हैं कि,
बचे मेरा अस्तित्व,
रहें मजबूत मेरे चारों पैर,
मेरे स्तम्भ ।
बैठा हूँ प्रतिक्षा में उस दिन के,
जब शायद एक नई ऊर्जा का,
संचार हो मुझमें भी,
मिले मुझे भी नवजीवन ।

ताकि पूरा कर सकूँ मैं,
लोगों की उन उम्मीदों को,
जो लोगों ने पाली थी,
मेरे जन्म के साथ,
फिर ला पाऊँ वो चमक उनके चेहरों पर,
जो छँटती सी दिखी है मुझे दशकों में ।
देखते हैं कब होता है पटाक्षेप,
मेरी पीडा का ।

अपनों से ही पीडित हूँ,
पर यंत्र हूँ मैं,
पंक्ति के अन्त में खडे उस व्यक्ति के उदय का,
जो निरीह सा रहा है,
सदियों के घटाटोप अंधेरे में ।
विश्व में सबसे बडे होने के,
तमगे के बाद भी,
खुद में सिकुडता जा रहा तन्त्र हूँ मैं ।
आजाद भारत का लोकतन्त्र हूँ मैं ।।


तारीख: 22.06.2017                                    राकेश “कमल”









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