इसमें मेरी क्या गलती थी,
जो तेरी कोख में आई थी।
क्यूँ मार दिया मुझको निर्मम
अभी दुनिया देख ना पाई थी।।
मेरे अपने ऐसे होंगे,
सपनों में भी नहीं सोचा था।
बेटी नहीं बनना है मुझको,
भगवान को भी मैने रोका था।।
पापा भी तो बैठे थे वहां,
वहीं बैठी बुढी ताई थी।
क्यूँ मार दिया मुझको निर्मम,
अभी दुनिया देख ना पाई थी।।
मैं रोती रही चिल्लाती रही,
पीड़ा बेधन की सह ना सकी।
मत मारो मुझे, मत मारो मुझे,
ये बात किसी को कह ना सकी।।
क्यूँ विष पिया, क्या ऐसा किया,
क्या इतनी मैं हरजाई थी।।
क्यूँ मार दिया मुझको निर्मम
अभी दुनिया देख ना पाई थी।।