आज फिर सूरज की चौखट पर बैठकर जाना
क्यों उग जाता है सूरज, डूब जाने के लिए? (चकित होकर)
नहीं-नहीं
डूब जाता है सूरज, फिर उग जाने के लिए
फिर से उठकर और उठाकर, एक नई शुरुआत
आज लिखने के लिए उग जाता है सूरज
मुर्गे के बांग के जरिए, एक नई शुरुआत
एक नई सोच, नई किरण छोड़ देता है सूरज
वही है नव उदय, मेरा नव उदय, हमारा नव उदय
पहली किरण, कल लिखने वाली कलम
फिर उठकर सब कुछ लिख जाने के लिए
नव हो शुरूआत, हलकी सुबह के साथ
हार जाता हूँ कभी-कभी, नया उदय लेने आता हूँ
पिछला छूट जाने के बाद, कुछ खो जाने के बाद
शायद यह सूरज का नव उदय कहता है
आज फिर उठ जा, गिर जाने के बाद।