पीछे मेरी दुआ

वो आज है नही मेरी दुनिया में 
फिर भी बसती है मेरे जिया में 
लगता है आज भी याद करती है 
मुझे पाने की फ़रियाद करती है
शायद खुश है ,जिन्दा है
क्यूंकि उसे कुछ हुआ है
वो आज जो है, जैसी है ,पीछे मेरी दुआ है |

मन करता है फिर से पाऊं उसे
दर्द भरी दुनिया से चुराऊं उसे
वो चली गयी पर कुछ कशिश तो है
चिराग न सही ,पर माचिस तो है
एहसास हो रहा है , उसने ख़त छुआ है
 वो आज जो है, जैसी है ,पीछे मेरी दुआ है |

अलग रहकर भी न अलग थे हम 
एक ही तालाब के कमल थे हम
मैं उसके और वो मेरे नयन में थी 
धरके देवी रूप वो मेरे सदन में थी
कर ध्यान उसका पावन फिर मन हुआ है | 
वो आज जो है, जैसी है ,पीछे मेरी दुआ है |

वो लड़ना -झगड़ना बेमतलब की बातों का 
अलग आनंद था आता तब उन रातों का 
वो तेरा रूठना ,मेरा मनाना
वो छोटे से छोटे राज भी तुमको बताना  
हँसना ,हँसाना और तेरा मुस्कुराना
पर अब हुआ मालूम प्यार एक जुआ है 
 वो आज जो है, जैसी है ,पीछे मेरी दुआ है ||


तारीख: 28.06.2017                                    महर्षि त्रिपाठी









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