समय

यह तीव्र वेग से चलता है
न किसी के रोके रुकता है
गर साथ चले इसके हम तो
ये मंजिल तक पहुचायेगा

व्यर्थ गवायाँ इसको तो
पथ बार-बार भटकायेगा
जो करना है तत्काल करो
एक बार गया न आयेगा
 
पाकर दौलत अभिमान न कर
सब यहीं धरा रह जायेगा
जब लेगा यह करवट तो
राजा भी रंक हो जायेगा

उठ जाग आलसी ! कुछ कर ले
कर परोपकार खुद को तर ले
यूँ हो उदास क्यूँ बैठे हो ?
जो बीत गया वो बीत गया
जिसने किया सदुपयोग समय का
हारी बाजी वो जीत गया 

मानो न हार कभी अपनी
नित करते रहो प्रयास सभी
लेकरके फावड़ा डटे रहो
होंगी फसले बंजर में भी
कर सदुपयोग समय का ये
हमको विजयगान सुनायेगा
रख धीरज आओ संग चलें
यह कोयले से हीरा बनायेगा
 


तारीख: 02.07.2017                                    महर्षि त्रिपाठी









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