आओ, आज
सूरज को हम बेच दें
इस रात को हम खरीद लें
गुनगुनाती धूप को
बदन छूने न दें
भीगी ओस में
तर-बतर नहा लें
घर के पिछवाड़े
दीवार की ओट लें
तन्हाइयों में
परछाइयों को मिलने दें
चुपचाप चांदनी की
चादर ओढ़ लें
सरसराती सबा को
सरगम गाने दें
जल-दर्पण में
चांद को धर लें
जब कमल सीने में
भ्रमर को भर लें
सुबह के उजाले
हमें जुदा न कर दें
आ इस रात में
ज़िन्दगी जी लें