सूरज को बेच दें

आओ, आज
सूरज को हम बेच दें
इस रात को हम खरीद लें

गुनगुनाती धूप को
बदन छूने न दें
भीगी ओस में
तर-बतर नहा लें

घर के पिछवाड़े
दीवार की ओट लें
तन्हाइयों में
परछाइयों को मिलने दें

चुपचाप चांदनी की
चादर ओढ़ लें
सरसराती सबा को
सरगम गाने दें

जल-दर्पण में 
चांद को धर लें
जब कमल सीने में
भ्रमर को भर लें

सुबह के उजाले 
हमें जुदा न कर दें
आ इस रात में 
ज़िन्दगी जी लें


तारीख: 08.08.2019                                    स्वर्ण ज्योति









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