तेरा चेहरा दिखता हैं 


तमाम दिल जलें हैं, एक मेरे ही दिल में अंगार नहीं।
नासमझ है दिल की बेमौसम आती बहार नहीं।।


तुझे भुलाने की कोशिस, यादों में ख़ार सा चुभता हैं।
बंद आँखियों में आज भी इक तेरा चेहरा दिखता हैं।।


किसी दस्तक़, किसी आहट, अब तेरा इंतज़ार नहीं।
न ख़ता तेरी न मेरी जब मंजूरे ख़ुदा यार नहीं।।


मेरे अरमानो के चिरागों में बफ़ा का परवाना जलता हैं।
बेख़बर है चाँद सही पर चकोर तो चाँद पर मरता हैं।।


मेरी हर इक़ शय तुम्हारी चाहत की तलबगार रही।
आज भी मंजूर नहीं कि कह दूं कि तुझसे प्यार नहीं।।


चाहतें मासूम सी, ऐ नीरज किसका बस चलता हैं।
मुठ्ठियों से रेत का मंज़र ख़ुद ब-ख़ुद फिसलता हैं।।


ख्वाहिशें लाख हो, हैं बेवज़ह, जब निगाहें यार नहीं।
यह भी मंजूर नहीं कि कह दूं कि तुझसे प्यार नहीं।।


तुझे भुलाने की कोशिस, यादों में ख़ार सा चुभता हैं।
बंद आँखियों में आज भी इक तेरा चेहरा दिखता हैं।।
 


तारीख: 16.11.2019                                    नीरज सक्सेना









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