तू ही है

होंठो को फैलाती हुई तू मुस्कुराती है
मुस्कुराने को कहा
तो, मुस्कुराया
तू भी नहीं , मैं भी नहीं

प्यार तो तू भी करती है मुझसे
जताने को कहा
तो,जताने के लिए आगे आया
तू भी नहीं , मैं भी नहीं

दर्द तो तुझे भी होता होगा
मेरी याद में
गुनहगार का पता कराया
तो
तू भी नहीं , मैं भी नहीं

याद तो तूने भी किया मुझे
अपने प्यार में
उस याद के बारे में पूछा
तो उस याद में
तू भी नहीं,मैं भी नहीं

मैं भी मुस्कुराया,प्यार में
मेने भी दर्द झेले ,याद में
मेने भी याद किया,दर्द में
पर जब नाम पूछा
तो
तू ही है सिर्फ ,तू ही है


तारीख: 21.06.2017                                    गोविन्द राम डबराल









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