उसका अहसान

नदियां भी रखती हैं, समंदरों को ढूंढ लेने का हूनर
ना जाने क्यों हमीं को नहीं मिलता इन्साने-मकाम

होगा हिसाब हमारी कमाई हर दुआ ओ बद्दुआ का
देर से सही पर, फैसले पहुंचेंगें पूरअसर बामकाम

दरकार नहीं है कि उसे, हम पहुंचे काबा ओर काशी
बस छोङ दो गुनाह, वो खुद आयेगा लेने को सलाम

खुशी की रंगीन कूंचियों से भी हमने दुख उकेर डाले
हमारी बदगुमानियों पर, वो खुद भी होता होगा हैरान

जाने कैसे अंदर का शैतान हम पर फतेह कर बैठा
उसने तो भेजा था, करने को अता मोहब्बते-पयाम

माना होंगी लाख गर्दिशें, उसकी बनाई कायनात में
पर कभी, हम भी तो बन के दिखायें मुकम्मल इंसान

करता है इनायत, हर सांस के बाद इक और सांस
क्या हमारी नाफ़र्मानियों पर नहीं ये उसका अहसान

ये सबक आसां है, हर बुराई उसके सर रख दो "उत्तम"
खुद बोओ बीज बबूल के, और नाम उसका बदनाम
 


तारीख: 30.06.2017                                    उत्तम दिनोदिया









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