वहाँ आखिर तू अब

वहाँ आखिर तू अब क्या चाहता है।
जहाँ सूरज भी ये डूबा हुआ है।

अदब के वास्ते सब छोड़ देना,
यही अहले-क़लम का सोचना है।

यही अब पूछ लेना उन सभी से, 
कि उनका काम क्या बस भौंकना है।

ये कैसे लोग हैं जो भौंकते हैं, 
ये कोई दौर है जो चल पड़ा है।

ऐ मेरे गीत, ऐ मेरी ग़ज़ल, देख,
हमें क्या-क्या न अब दिन देखना है।

जमाने के हाँ तुम इस दौर में हो,
कहो ऐ 'देव' तुमने क्या किया है।


तारीख: 17.11.2017                                     देव मणि मिश्र









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