आत्मा और परमात्मा

परमात्मा एक विशाल समुद्र है और आत्मा उसकी एक बूँद | जिस प्रकार 
वाष्पीकरण के द्वारा बूँदें बादल बनती हैं और धरती पर बरस जाती है , 
उसी प्रकार आत्माएं परमात्मा से निकलकर , शारीर धारण कर धरती पर
अवतरित होती हैं| 

धरती पर आने के बाद वर्षा–जल से तरह–तरह के काम लिए जाते हैं| 
इसी तरह विभिन्न प्रकार के जीव – जंतु पृथ्वी पर अनेकों कार्य करते हैं|
नदियाँ उन श्रेष्ठजनों की तरह हैं जो आत्मा रुपी बूंदों को संग लेकर 
परमात्मा रुपी समुद्र से मिलाने का काम करती हैं और तालाब कुसंगतियों 
की तरह है जो उसे एक जगह रोककर सड़ा देती है|

पर जिसकी किस्मत अच्छी होती है नदियाँ बाढ़ लाकर उसे मुक्त करा देती
हैं|जिस प्रकार समुद्र में विलीन होने के लिए बहुत सारे जगहों से होते हुए
जाना पड़ता है , उसी प्रकार परमात्मा से मिलने के लिए आत्मा को भी 
अनगिनत बाधाएं पार करनी पड़ती हैं और अंततः जिस प्रकार बूँद समुद्र में
मिलकर समुद्र बन जाती है उसी तरह आत्मा भी परमात्मा में मिलकर 
परमात्मा हो जाती है |


तारीख: 08.06.2017                                    विवेक कुमार सिंह









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