विमुद्रीकरण का जनजीवन पर प्रभाव

                   
नोटबंदी उसे कहा जाता है जब कोई सरकार पुरानी मुद्रा बंद करके नयी मुद्रा छापती है ! कुछ पलों में ही ५०० व १००० के नोट बेमुल्य हो जाते हैं ! वही कीमती नोट किसी भी आर्थिक लेन देन में सक्षम नहीं रहते !भारत के साथ साथ बहुत से देशों जैसे पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया,घाना,नाइजीरिया,जिमभावे इत्यादि में नोटबंदी बहुत वर्ष पहले से ही प्रचलित है ! 
क)    भारतवर्ष में पहली बार नोटबंदी १९४६ में हुई थी ! ५०० ,१००० व १०,००० के नोट बंद करने का फैसला किया गया था ! 
ख)    १९७० में भी जांच से सम्बंधित वांचू कमेटी ने विमुद्रीकरण का सुझाव दिया था ,परन्तु सुझाव सार्वजानिक हो जाने की वजह से नोटबंदी नहीं हो पाई !
ग)    जनवरी १९७८ में मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार ने १०००,५००० व १०,००० के नोट बंद कर
दिए थे, तत्कालीन आर.बी.आई गवर्नर आई. जी पटेल ने इस नोटबंदी का विरोध किया था !
घ) २००५ में भी मनमोहन सिंह की कांग्रेस नीति सरकार ने २००५ के पहले के ५०० के नोटों का विमुद्रीकरण किया था !
ड) 08 नवम्बर २०१६ को नरेन्द्र मोदी(बी.जे.पी) सरकार ने भी विमुद्रीकरण का ऐलान किया !


नोटबंदी का लक्ष्य :
क)     सरकार का नोटबंदी करने का उद्देश्य काला धन देश से बाहर निकालना है ! भारत सरकार का मानना है कि नोटबंदी से आतंकवाद व नक्सलवाद की बुनियादी ताकतें निर्बल हो जायेंगी ! देश में शांति व्यस्था कायम होगी व देश के दुश्मन धन उपलब्ध न होने से निर्बल हो जायेंगे! इससे
देश के लोग “नकद-रहित “ बनने की ओर अग्रसर होंगे !

नोटबंदी के सकरात्मक प्रभाव : 
क)    सरकार के विमुद्रीकरण के फैसले से उन लोगों के होश फाख्ता हो जाते हैं जिनके पास बड़ी मात्रा 
में काला धन होता है ,कई लोग उसे अपने घर की छत पर या तहखाने में जला देते हैं !
ख)    नोटबंदी का एक सकरात्मक प्रभाव यह भी पड़ा है कि जो महिलाएं धन व बैंक सम्बंधित कार्यों के लिए अपने पति व घर के अन्य मर्दों पर निर्भर रहती थीं ,वे भी घर से बाहर निकलकर बैंकों में जाना, नोट परिवर्तन करना सीख गयी हैं !
ग)    २०१६ नोटबंदी के उपरांत भारत सरकार ने यह घोषणा की है कि इस फैसले से भारत “नकद-रहित” बनने की ओर अग्रसर होगा ! भारत के लोग अधिकतम भुगतान क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड व मोबाइल के ज़रिये करेंगे ! इससे डिजिटल पेमेंट सलूशन सेक्टर में बिज़नेस के अवसर तैयार  होने से रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे !


नोटबंदी के नकरात्मक प्रभाव
   नोटबंदी के उपरांत धनी व्यक्ति काला धन छुपाने के लिए किसी परिचित व्यक्ति के बैंक खाते में बिना सूचना दिए जमा करा देते हैं ! आम तौर पर यह देखा जाता है कि लोग बैंक आ कर यह शिकायत दर्ज़ करवाते हैं कि आज मेरे खाते में कुछ पैसे जमा हुआ है जो कि मेरी संपत्ति नहीं है ! नोटबंदी के चलते धनी व्यक्ति तो धन छुपाने में कहीं न कहीं कामयाब हो जाता है परन्तु पिसता है तो आम आदमी, जो व्यक्ति परिश्रम से अपनी जीविका कमाता है ,उसे अपना ही धन प्राप्त करने के लिए बैंक के बाहर लम्बी लम्बी कतारों में लगना पड़ता है !
क) विमुद्रीकरण के फैसले से लघु व्यवसाय जैसे ठेले वाले,रिक्शा वाले इत्यादि पर खासा प्रभाव पड़ता है! लघु व्यवसाय के साथ साथ स्वर्ण व रतन जैसे बड़े व्यापारों पर भी प्रभाव पड़ता है! 
ख) लम्बी लम्बी कतारों व भीड़ भड़क्के में दिल का दौरा पड़ने से ,अस्पतालों में उपचार न मिल पाने के कारण व आत्महत्या की वजह से कई लोगों की म्रत्यु की खबर सामने आती है !
ग) २०१० में उतरी कोरिया में लोग बिना छत व भोजन के रहने के लिए मजबूर हो गए थे ! आर्थिक व्यवधान से सामूहिक विद्रोह फैला जिसके फलस्वरूप कई लोग मारे गए ! 
घ) विपक्ष दल इस मुद्दे पर राजनीति करते हैं, वो एकदम से मुखर हो गए ,उन्होंने आम आदमी द्वारा अपना ही धन न निकाल पाने के दर्द को अपना हथियार बना लिया ! उनकी टिप्पणियों की वजह से लोकसभा की कार्यवाही भी स्थगित कर दी गई ! विमुद्रीकरण की बहस के कारण सदन के कार्य पर भी प्रभाव पड़ा !


समीक्षा
   क) वर्ल्ड बैंक के चेयरमैन “जिम योंग़ किम” ने भारत में २०१६ नोटबंदी के उपरांत यह बयान दिया है       कि “मैं मोदी सरकार से बेहद प्रभावित हूँ ,भारत में आगे बढ़ने की क्षमता अब और प्रबल हो गयी है ”!
ख)    सबसे दिग्गज विपणन (मार्केटिंग) विशेषज्ञ फिलिप कोटलेर ने कहा है कि “मैंने दुनिया के बहुत से लोगों को कुछ न कुछ सिखाया है परंतु नरेन्द्र मोदी को कुछ सिखाने की आवश्यकता ही नहीं
है, उन्हें सब कुछ पहले से ही आता है “!
नवम्बर २०१६ नोटबंदी के बाद भारत सरकार की यह उम्मीद है कि अगले ५० दिन अटकलों से भरे अवश्य होंगे, परंतु आने वाले ५० वर्ष सुखदमय होंगे !


तारीख: 18.06.2017                                    मीनू पामर









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