ये तूफानों का वेग नहीं उन्मादी परिवेश नहीं
ये धरती की अँगडाई है धानी चूनर लहराई है
जो होता है हो जाने दो सच की किरणों को आने दो
कब तक अँधियारे मचलेगे एक दीपक तो जल जाने दो ।
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