तुम तो एक
ख़्वाब हो
मेरे सीने में
बसे हो
हर तरफ
महकते
बेजुबां फूल से
और
घुमड़ते
बादल से हो
तुम
रोज़
करवटे बदलते हो
कभी
मुझे टटोलते हो
स्वयं में
अदृश्य हो
इक नया सा
ख्वाब
बुन जाते हो।
तारीख: 12.08.2017मनोज शर्मा
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