रुकना राही का काम नहीं। चलो ! अभी विश्राम नहीं।
मंजिल अब खड़ी पुकार रही बढ़ते जाओ,वह दूर सही
जीवन है पग-पग चलने में गिरने में और संभलने में
जो भाग गया रणभूमि से अर्जुन फिर उसका नाम नहीं
चलो ! अभी विश्राम नहीं
साहित्य मंजरी - sahityamanjari.com