मीडिया से खफा कोरोना

बाबा बोतलदास आज पूरी तरह कोरोना के कारण मीडियाकर्मियों की मौत पर चर्चा
करने के मूड में थे। सड़क पर मिलते ही सबसे पहले मुझसे पूछा ठीक तो हो।
मैंने कहा ऐसा क्यों पूछ रहे हैं ? रोज तो मुलाकात होती है और भला चंगा
नजर आता हं। वे बोले- भला चंगा तो प्रत्येक मीडियाकर्मी मुझे नजर आता है।
इसीलिए तो कभी सरकार से कोरोना वारियर घोषित करने की मांग करता है तो कभी
बीमा कराने की।

आगे उन्होंने कहा अखबारों में खबर आयी है कि अपने शहर में इस साल सबसे
ज्यादा मौत मीडियाकर्मियों की हुई है। इसलिए मुझे तेरी भी चिंता हो रही
थी। इसलिए पूछा कि तुम तो ठीक हो न ? आगे कहा-मुझे लगता है कि इस साल
कोरोना सबसे ज्यादा खफा मीडियाकर्मियों से है। इसलिए वह उन्हें दुलत्ती
मार रहा है। दुलत्ती खाकर जो मीडियाकर्मी बच गया तो समझो बच गया। नहीं तो
उन्हें श्रद्धांजलि देने वाले नेताओं और छुटभैयों की कमी नहीं है। वे
जानते हैं आपदा में अवसर की तलाश करना। उधर किसी मीडियाकर्मी की कोरोना
से मौत हुई नहीं कि मीडिया के दफतर में शोक व्यक्त करने वाली
विज्ञप्तियों की लाइन लग जाती है।

मैंने कहा मीडियाकर्मियों से कोरोना खफा क्यों होने जा रहा ? वे बोले
पिछले साल जब कोरोना हवाई जहाज पर चढ़कर आया था और तबलीगी जमात पर उसे
लाने का आरोप लगा था तब तो कोरोना ने किसी मीडियाकर्मी को दुलत्ती नहीं
मारा। इस साल क्यों मार रहा है। इससे पता चलाता है कि वह सबसे ज्यादा
मीडिया वालों से ही खफा है। कोरोना जानता है कि मीडिया वाले ही उसके बारे
में झूठी या सच्ची खबरें फैलते हैं। वे ही लोगों को बताते हैं कि आज
कोरोना का क्या रुख रहा है। किसी मुहल्ले में कोरोना के कारण कितने लोगों
की मौत हुई और कौन-कौन कितना कोरोना पाजिटिव हुआ। अब तो मीडिया वाले ही
लोगों को बता रहे हैं कि कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है। इससे तो
कोरोना मीडिया वालों पर भड़केगा ही। मीडिया के लोग यह भी खबरें ला रहे हैं
कि कोरोना आंखों पर भी प्रहार कर रहा है।

उनकी सुनने के बाद मैंने उनसे कहा लगता है आपकी खोपड़ी में नेताओं की
खोपड़ी समा गयी है। जिस तरह से नेता लोग अपने दोष का सारा ठीकरा मीडिया पर
फोड़ देते हैं उसी प्रकार आप भी कोरोना संक्रमण का पूरा दोष
मीडियाकर्मियों के माथे मढ़ देना चाहते हैं।

वे बोले कोरोना अब एक साल का हो गया है। उसे इतनी अकल तो हो ही गयी है कि
कौन उसका दोस्त है और कौन उसका दुश्मन। कोरोना जानता है कि कुंभ में जाने
से उसे बाबाओं का खतरा है। इसलिए वह कुंभ में नहीं जाता। वह यह भी जानता
है कि कुंभ में पहाड़ की गुफाओं से बाबा लोग आते हैं न जाने कौन सा श्राप
दे दें। इसलिए वह कुंभ से दूर रहा। वे आगे बोले कोरोना यह भी जानता है कि
चुनावी रैली में जाने की उसकी अभी उम्र नहीं हुई है। इसलिए जिन राज्यों
में चुनाव हुए वहां कोरोना नहीं गया। अगर गया भी तो नेताओं के भाषण सुना
नहीं। क्यों कि वह जानता है कि अभी उसकी वोट देने की उम्र हुई नहीं है तो
वह क्यों वहां जाये। आगे वे बोले कोरोना थाने में भी नहीं जाता। इसलिए तो
एक पुलिस जीप पर सवार होकर कई पुलिस वाले चलते हैं और लोगों को लाकडाउन
के नियमों का पालन करने की नसीहत देते हैं। बाबा ने कहा कोरोना पढ़ना
चाहता है तो स्कूल वाले उसके कारण स्कूल ही बंद कर देते हैं तो वह सड़कों
पर इधर-उधर मंडराता फिरता है। इस दौरान सबसे ज्यादा उसे मीडियाकर्मी ही
नजर आते हैं जिसे वह आसानी से अपना शिकार बना लेता है।

मैं उनकी बातो को सुनने के बाद उनसे विदा लिया और आगे बढ़ गया।
 


तारीख: 06.02.2024                                    नवेन्दु उन्मेष









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है