किन्नर

“ भैया आप मुझे किसी दूसरी सीट पर बैठा दोगे प्लीज ?” अपनी सीट के बगल में बैठे हुए किन्नर को देखकर कुछ झिझकते हुए मानसी ने बस कंडक्टर से कहा। पर कहीं सीट खाली न होने की वजह से वो खड़ी हो गयी। पलक झपकते ही उस खाली सीट पर दूसरी सवारी बैठ गयी।

बस में वैसे तो लेडीज़ सीटें अलग रहती हैं । लेकिन उस दिन भीड़ अधिक होने से बस में काफ़ी गहमागहमी थी। थोड़ी पीछे खड़ी मानसी पर कुछ बदमाश लड़के लगातार कमेंट्स पास करते जा रहे थे। हद तो तब हुई जब राजीव गाँधी चौराहे पर बस बदलते समय एक लड़का उससे बुरी तरह टकराता हुआ आगे चला गया। 

“बत्तमीज़” !! कहते हुए आगे बढ़कर मानसी ने उसके गाल पर जोरदार तमाचा जड़ दिया। इतने में उसके साथियों ने आकर मानसी को घेर लिया। उनके कमेंट्स अब और भद्दी भाषा में हो गए थे...”क्यों मैडम मर्दानी बनने का बहुत शौक है “ कहकर एक लड़के ने उसकी बांह पकडनी चाही।

अचानक ही किसी ने उस लड़के का हाथ पकड़कर उसके गाल पर झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद दिया। मानसी की निगाहें उधर उठकर आश्चर्य से भर गईं। ये सीट पर बैठा वही किन्नर था , जिसके पास बैठने में मानसी को झिझक हो रही थी। तभी भीड़ में से किसी की आवाज़ आयी। “अरे ये तो हिजड़ा है।” 

इस अप्रत्याशित घटना से अवाक् खड़ी मानसी में न जाने कहाँ से इतनी ताक़त आयी , किन्नर का हाथ पकड़कर बोली –“ हिजड़ा ये नहीं बल्कि आप सभी हो , जो अभी तक सारा तमाशा देख रहे थे , किसी हिंदी फिल्म की तरह। कुछ देर और चलता तो शायद एम् एम् एस भी बनाने लगते ,पर मदद को एक भी हाथ आगे नहीं आता। भीड़ छँटने लगी थी, बस अपने गंतव्य को चल दी। मानसी ने उस समय देवदूत लग रहे किन्नर को नम आँखों से धन्यवाद कहा।


तारीख: 10.01.2016                                    पूनम पाठक









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