माँ तेरी याद आती है

माँ की याद आती है 
हर सुबह हर शाम आती है
चाहे हो रौशनी चाहे बियाबान अँधेरा 
माँ तेरी याद हर राह आती है

किराये की दीवारों में सब कुछ है मगर
हर पल कोई कमी सताती है
आते हैं पल भर आंसू, उसके बाद ये चाह आती है
माँ तेरी याद हर सांस आती है 

बीता हुआ वक़्त लौट के नहीं आता, बस कचोटने आता है 
मेरे दिल के टुकड़ों को समेटने, कभी बिखेरने आता है 
आने वाले अचे समय की उम्मीद को सिरहाने रख फिर भी अनजाने शहर रह जाता हूँ
माँ तेरा शहजादा नौकर बनकर, तेरी हर चाह सर माथे मढ़ जाता है 

जब भी जाती है तू दूर माँ, 
मैं पहाड़ से एक छोटा सा टीला बन जाता हूँ
तुझे शक तो होता होगा थोड़ा सा 
तेरी याद में मैं वही नौ साल का छोटा बचा बन जाता हूँ

आंधी हो या तूफ़ान सेहरा हो या काली शाम 
मेरी कलम को भरने तेरी स्याही हर कलाम आती है
तू तो नहीं आती माँ
हर पहर हर सांस तेरी याद आती है 

बैठा होता हूँ अनजाने चेहरों में जब, तेरा ये बनाया चेहरा छुपाये
खड़ा होता हूँ जब अपने गम को जग की नजरों से बचाये
परस्पर कुचले हुए इस दिल में ये फ़रियाद आती है
तेरे जाने के बाद माँ अक्सर तेरी याद आती है 


 


तारीख: 22.08.2019                                    अभिषेक पंडियार









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