मुझको तेरा प्यार चाहिए

जिसमें हो केवल पवित्रता, प्रेम का वो संसार चाहिए 
तन से तन का, मन से मन का, मुझको एकाकार चाहिए
जिसमें बोली लगे प्यार की, ऐसा इक व्यापार चाहिए 
जिसका हो आधार कोई, वो स्वप्न मुझे साकार चाहिए    
मुझको तेरा प्यार चाहिए ...........

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जाने क्या मेरे अन्दर था, मुझको कोई जान ना पाया 
ऐसी थी पहचान मेरी, कोई मुझको पहचान ना पाया 
बाँटी सबको हमदर्दी पर नफरत मुझको मिली अभी तक 
जो थोडा सा प्यार पा सके, अब ऐसा आकार चाहिए 
मुझको तेरा प्यार चाहिए ...........

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अब तक एकाकी चलता था, खुद को भी कुछ खबर नहीं थी 
पर अब दो से चार कदम हों, बाहों में बाहें हरदम हों 
साँसों में सांसें घुलतीं हों, तुम ही तुम हो, हम ही हम हों
बहुत किये कर्तव्य अभी तक लेकिन अब अधिकार चाहिए 
मुझको तेरा प्यार चाहिए ...........

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मेरे मन के इक कोने में, प्रेम का तूने दीप जलाया 
भाव मेरे बन बनकर उसमें ये अंतरतम पिघला सारा 
जीत चाहता था लेकिन मैं तुझपर अपना सबकुछ हारा 
अब एक नहीं, दो-चार नहीं, सौ बार मुझे ये हार चाहिए
मुझको तेरा प्यार चाहिए ...........

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आज मुझे इक वादा दे दो, राहें लख हों, एक हो मंजिल 
रंग भले कितने बिखरे हों, एक रंग हम में हो शामिल 
तू मुझसे और मैं तुझसे अब कभी भी ना हो पाएं ओझल 
मुझको तेरा साथ धरा से दूर, क्षितिज के पार चाहिए 
मुझको तेरा प्यार चाहिए ...........

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आकर्षण तो बहुत पड़े हैं, लेकिन सच को कैसे जानूं
जीवन तो काँटों का पथ है, राह सही कैसे पहचानूँ 
सुख-सुविधाओं और दुखों में, सही मित्र मैं किसको मानूं 
जो सबका कर सके सामना, सत्य से साक्षात्कार चाहिए 
मुझको तेरा प्यार चाहिए ...........
मुझको तेरा प्यार चाहिए ...........
 


तारीख: 29.06.2017                                    मनीष शर्मा









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