शायद
इस जन्म,
मै और तुम भाई हैं 'शायद'
तुम बड़े हुए, मै छोटा हुआ,
तुम कभी घर पर साथ नहीं रहे,
तुमने हमारे लिए दुःख झेले, कष्ट बीने।
मै हमेशा घर पर रहा,
और 'शायद' मोटा हुआ।
तुमने आपार पीड़ाएँ देखीं,
अपने सारे चहेते खिलौनों/चीज़ों को खोते देखा,
मेरे पास खोने को कुछ नहीं था,
मैंने बचपन खोया 'शायद'।
तुम जवान हुए,
तुमने जिम्मेदारियां उठाईं,
तुम पापा की शान बने,
मैंने कई बार उनका सर झुकाया,
तुमने लकड़ियां बिनि,
मैंने जलाया।
तुमने कमाया,
मैंने गंवाया 'शायद'।
तुम हर जगह ऊँचे खड़े रहे,
मै भी ठीक तुम्हरे पीछे ही रहा
मगर मै तुम न बन सका 'शायद'।
तुम आज शिखर पर हो,
मै उतनी दूर नहीं आ सकता 'शायद'।
सुनो भाई,
कल माँ ने सपना देखा है,
आँगन जल रहा था,
मै अकेला खड़ा था,
तुम नहीं थे मेरे पीछे 'शायद'।