आज तो हर घर मे टी.वी और हर हाथ मे मोबाइल है पहले ऐसा कहाँ था | एक टी.वी था वो भी ब्लैक और व्हाइट जिसमे केवल दूरदर्शन आया करता था | जब तेरे तीसरे नंबर के अलवर वाले मामाजी और हम एक ही घर मे साथ रहा करते थे | हमारे यहाँ टी.वी था तो आस पड़ोस वाले भी देखने आया करते थे |
रविवार को वैसे तो छुट्टी का दिन होता है लेकिन इस दिन सभी घरो मे सवेरे से बड़ी जल्दी-जल्दी काम हुआ करता था | महिलाएं जल्दी उठती साफ सफाई करके घर के जरूरी काम निपटा लेती थी तब तक पुरुष स्नान कर लिया करते थे और करीब साढ़े आठ बजे तक सब अपने काम निपटा कर हमारे घर आने लगते थे | नौ बजते – बजते तो आस पड़ोस के सभ लोग आ जाया करते थे | रविवार के सुबह नौ बजे से दुरदर्शन पर रामानन्द सागर की रामायण जो आया करती थी |
दादी, लोग रामायण देखने के लिए नाहकर आया करते थे ! हाँ बेटा , कई तो ऐसे भी थे जो कुछ भी खाकर नहीं आते थे | नौ से दस एक घंटे रामायण का पूरा एपिसोड देखने के बाद ही भोजन किया करते थे |
आज भी नौ बजे दुरदर्शन पर रामायण आने वाली थी | यूं तो कभी पूरा परिवार साथ होता नहीं है | सभी की अपने अपने काम रहते है | रविवार को भी किसी को कंही घुमने जाना है तो किसी को चेहरा मोहरा सही करने जाना है | अब वो पुरानी बात नहीं रही , पुरा परिवार साथ बैठता ही कहाँ है |
हाँ पर इस बार कोरोना महामारी के चलते पुरे देश मे 21 दिन की बंदी है , बहु – बेटे , बच्चे सब घर पर ही है और रामायण भी आने वाली है आज से दुरदर्शन पर | नौ बजते – बजते किराये पर रहने वाले सज्जन आ गये , आए तो कुछ सामान लेने थे लेकिन रामायण देखने बैठ गये |
रामायण शुरू हुई तो शांत माहौल के बीच सभी ने गंभीरता से देखना शुरू किया मानो पहली बार रामायण देख रहे हो हालाकि बचपन मे जब रामायण के पुराने एपिसोड आया करते थे तब ही हमने रामायण देख ली थी लेकिन आज न जाने माहौल लुभा रहा था या रामायण शुरू होने से पूर्व बनाई गयी प्रस्तावना का असर था जिस कारण नयेपन का अहसास हो रहा था |
जैसे ही कुछ विलंब आता तो उसमे बच्चो के सवाल होते | सब अपने अपने ज्ञान के आधार पर जवाब देते तो तथ्यो को लेकर आपस मे तर्क वितर्क भी होने लगते | कुछ तर्क गलत साबित होते तो कुछ नयी जानकारी भी प्राप्त होती |
रामायण का एपिसोड दस बजे पूर्ण हुआ तो एक बच्चे ने तुरंत पुंछ लिया कि ये रामायण है तो फिर रामचरित्र मानस क्यों लिखा आ रहा है | इस सवाल ने एक लंबी चर्चा प्रारम्भ कर दी जिसके तहत गूगल तक का प्रयोग करके इस विषय पर विचार और प्रमाण रखे गये |
अगले ही दिन सवेरे से ही माहौल मे तेजी सी आ गयी थी | जो सुबह उठते से ही फोन हाथ मे ले लेते थे और दोपहर तक नाहते थे वे तैयार होकर बैठ चुके थे , नाश्ता तैयार हो चुका था पर किसी ने नाश्ता किया नहीं था | मालूम हुआ कि आज नाश्ता दस बजे बाद ही मिलेगा | नौ बजने को थे माहौल बन चुका था , दुरदर्शन पर रामायण के उद्घोष के साथ ही सभी की निगाहे एकटक टी.वी स्क्रीन पर जा टिकी | अब ये सिलसिला रोज का हो गया है |
कभी भविष्य मे अगर इस महामारी के दिनो को संकट के दौर के रूप मे याद किया जाएगा तो हम करेंगे की संकट के दौर मे परिवार ने साथ मिलकर देखी थी रामायण |