तुझको पाने को दिल ये बेताब नही होता
तेरे हांथो में जो लाल गुलाब नहीं होता ।
*****
तज देता साँसों को अपनी तुझपे मैं अब तक
ज़िन्दगी का मेरी गर तू असहाब नहीं होता ।
*****
गर न कभी मिलता मैं जो तुमको इत्तिफ़ाकन
मोहब्बत में फिर मैं तेरा इंतिखाब नहीं होता ।
*****
गर तुम न निकलते जुल्फ खोले शहर में तो
शज़र का भी मौसम यूँ खराब नहीं होता ।
*****
बन गया दस्तूर रिश्तों में यहाँ फरेबों का
बरना मेरे चेहरे पर भी नकाब नहीं होता ।
*****
जो तू न गुजरती बेपर्दा शहर की बाजार से
तेरे आशिको में कोई बेनकाब नही होता ।
*****
अभी हो भ्रम में सत्य का तुम संज्ञान लो
हर आग का गोला आफताब नहीं होता ।
*****
हज़ारो ख्वाब आते रातों को याद नही मुझको
वो न जिसमे आये रिशु वो ख्वाब नही होता ।