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तेरी ख़ुमारी मुझपे भारी हो गई - आकिब जावेद
जहन मे सौ सौ बार आया था वो - मारूफ आलम
झूठा रुआब लिए फिरता है - मारूफ आलम
जैसे वहाँ शिरकत हुई - अविनाश ब्यौहार
ख़ुशी भी ढूँढू तो बस दर्द का सामान मिले - जॉनी अहमद क़ैस
नया वादा - जॉनी अहमद क़ैस
ज़िंदगी इक सफ़र है नहीं और कुछ - निज़ाम फतेहपुरी
खुद्दारों के चेहरों पर - मारूफ आलम
मेरे तुम दिल के अन्दर देख लेना - आकिब जावेद
साफ़ साफ़ लिखा था - जॉनी अहमद क़ैस
दिल में उनकी कमी हो गई है - आकिब जावेद
आँख ने आँसू बहाए - अविनाश ब्यौहार
चलो आसमाँ में चले - सलिल सरोज
पावस हमको प्यारा लगता - अविनाश ब्यौहार
जिधर सब जाते हैं - सलिल सरोज
परिंदो को बुलाना है - अविनाश ब्यौहार
रिश्वत जागीर हुई मानो। - अविनाश ब्यौहार
जब से अपना जख्म छिपाना आ गया - सलिल सरोज
खुदी को कर ले बुलंद - आकिब जावेद
कैसे बताऊँ यारों कितना मैं सहनशील हुआ हूँ - अजय प्रसाद
विकास मरा या मारा गया - अजय प्रसाद
कवि सम्मेलनों और मुशायरों की भरमार है - अजय प्रसाद
उसकी महफिल से निकाला गया - अजय प्रसाद
या रब कुछ तो आसान कर - अजय प्रसाद
हुस्नोइश्क़ के अलावे है कुछ, तो सुना - अजय प्रसाद
किस्मत पे पड़ते ताले हैं - अविनाश ब्यौहार
चलते-चलते आख़िर - जॉनी अहमद क़ैस
ये कैसी बेख़बरी है , ये कैसी बदमिज़ाज़ी है - सलिल सरोज
हम मिल ही जायेंगे - विवेक द्विवेदी
देख के हैरान हूँ - विवेक द्विवेदी
मित्रता नहीं अदावत कैसी - अविनाश ब्यौहार
कभी न देखे है ख़्वाब इतने - आकिब जावेद
क्यों उल्टा पड़ता पाँसा है - अविनाश ब्यौहार
ठिकाना तेरे दिल के अंदर - कुणाल
वे झूठे वादे करते हैं - अविनाश ब्यौहार
इश्क़ के कीड़े मेरे दिल में कुलबुलाते रह गये - अजय प्रसाद
बुलाती है तो जाने का भई - अजय प्रसाद
रक्खा है मैंने आस्तीन में साँप पाल के - अजय प्रसाद
रंगीनियों का रज़ाकार है बॉलीवुड - अजय प्रसाद
मेरे ख्याल से - अजय प्रसाद
अपनी गज़लें ही तो मैं सुना रहा हूँ - अजय प्रसाद
वर्षो से बहर की पाबंदियों में क़ैद है गज़ल - अजय प्रसाद
वे हमारी वफा आजमाने लगे - अविनाश ब्यौहार
दिल में तेरे अब ठिकाना कर लिया - आकिब जावेद
हमें आशियाँ हुआ बनाना। - अविनाश ब्यौहार
एक अलग दुनिया बसाऊँगा - अजय प्रसाद
बाज़ार में हूँ खरीदार - अजय प्रसाद
घिस रही है लाइफ - अजय प्रसाद
शरीर किस काम का - अजय प्रसाद
देश सेवा कर लूँ - अजय प्रसाद
वो सफ़र में मिला नही होता - आकिब जावेद
आज कोई हमें बताए तो - अविनाश ब्यौहार
लो मिल गया फ़िर से चिल्लाने को नया मुद्दा - अजय प्रसाद
शायरी आजकल बेहद शरमा रही है - अजय प्रसाद
उस्ताद कई हैं फ़ेसबुकिया जो शायरी सिखातें हैं - अजय प्रसाद
फेसबुक पर - अजय प्रसाद
ख्वाब कोई आंखों में मैंने पनपने नहीं दिया - अजय प्रसाद
खुदा भी आजकल खुद में ही परेशान होगा - अजय प्रसाद
हमीं हैं यहाँ पर शिकारे लिए - अविनाश ब्यौहार
कितना आसान है - जॉनी अहमद क़ैस
फिदा हैं इक झलक पर - अविनाश ब्यौहार
उससे चाहत की चाह रखी तो - जॉनी अहमद क़ैस
रहगुजर में इश्क़ के हैं यार मेरे पत्थर बिछे - तारांश
आइना मुझको मेरी औकात बताता है - अजय प्रसाद
झूठ बोलना आज के दौर में लाजिमी है - अजय प्रसाद
हो सकी न कभी जो कबूल,वो दुआ हो तुम - अजय प्रसाद
महफिलें बेनूर सी मानो - अविनाश ब्यौहार
एक सूखा सहरा है अब वहाँ - जॉनी अहमद क़ैस
याद नहीं आता - जॉनी अहमद क़ैस
हम न कह पाए - जॉनी अहमद क़ैस
जो न मेरा हुआ - आकिब जावेद
बन सखा आज दीदी मेरी आ गयी - महर्षि त्रिपाठी
ज़िन्दगी क्यों बुझी सी रहती है - आकिब जावेद
सर अपना पत्थर पे मार रहा हूँ - अजय प्रसाद
नये दौर में नये मिज़ाज - अजय प्रसाद
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