हमकों उसकी उस हँसी पे नाज़ है ।
यानि अपनी इस कमी पे नाज़ है ।।
जिसने के सबकुछ मिटा डाला मेरा ,
आज भी हमकों उसी पे नाज़ है ।।
कुछ न कुछ सबने दिया है इक मुझे ,
और अब हमकों सभी पे नाज़ है ।।
शाइरी में नूर इससे आया है ,
अब तो हमको तीरगी पे नाज़ है ।।
जबसे उसने जिन्दगी हमको कहा ,
जिन्दगी को जिन्दगी पे नाज़ है ।।
दोस्ती का हाल वो है के हमें ,
अब जहाँ की दुश्मनी पे नाज़ है ।।
इश्क भी है हुस्न भी है तुझमें तो ,
उस की इस कारीगरी पे नाज़ है ।।
जिस के आगे फूल भी शरमा रहे ,
मुझ को उस की नाज़ुकी पे नाज़ है ।।
दिल लगाये और तो कुछ भी नही
मुझ को ऐसी दिल्लगी पे नाज़ है ।।
गर बुरा तुम यूँ न मानों तो कहूँ ,
जो नहीं तुझ में उसी पे नाज़ है ।।
सबने मुझको है दिया धोखा कि अब
मुझको साकी इक तुझी पे नाज़ है ।।
मय ने मुझसे ये कहा बस मैं ही हूँ ,
और तब से मयकशी पे नाज़ है ।।