हमसफ़र सा मेरा हो गया रास्ता ।
साथ देखो मेरे चल रहा रास्ता ।।
छोड़ जब तू गया रास्ते में मुझे ,
ढूढ़ता था तुझे रास्ता रास्ता ।।
रास्ते सारे धोखा ये देंगे तुझे ,
अपने हाथों से खुद तू बना रास्ता ।।
हर तरफ़ आज साजिश का जंजाल है ,
क्या पता ये कहाँ जाएगा रास्ता ।।
तेरी यादों में हम ऐसे खोये रहे ,
मुझको जाने कहाँ ले गया रास्ता ।।
जिन्दगी ले के आया है उस राह पे ,
के जहाँ से नहीं दिख रहा रास्ता ।।
साथ तू ना चला अब कहो क्या करूँ ,
'साथ मेरे चलो' कह रहा रास्ता ।।
मंजिलों की तो ख्वाहिश रही ना मुझे ,
जिसपे चलता रहूँ वो दिखा रास्ता ।।
मेरी ग़ज़लों में देखो तो दिख जाएगा ,
वो जिसे देखो मैं कह रहा रास्ता ।।
देव अक्सर मुझी से ही कहता है ये ,
तू भी बढ़ चल कि ये बढ़ रहा रास्ता ।।