हमसफ़र सा मेरा हो गया रास्ता

हमसफ़र सा मेरा हो गया रास्ता ।
साथ  देखो  मेरे  चल रहा रास्ता ।।

छोड़ जब तू गया रास्ते  में  मुझे ,
ढूढ़ता  था  तुझे  रास्ता  रास्ता ।।

रास्ते  सारे  धोखा  ये  देंगे  तुझे ,
अपने हाथों से खुद तू बना रास्ता ।।

हर तरफ़ आज साजिश का जंजाल है ,
क्या  पता  ये  कहाँ जाएगा रास्ता ।।

तेरी  यादों  में  हम  ऐसे  खोये  रहे ,
मुझको जाने  कहाँ  ले  गया रास्ता ।।

जिन्दगी ले के आया है उस राह पे ,
के जहाँ  से नहीं दिख  रहा रास्ता ।।

साथ तू ना चला अब कहो क्या करूँ ,
'साथ  मेरे  चलो'  कह  रहा  रास्ता ।।

मंजिलों की तो ख्वाहिश रही ना मुझे ,
जिसपे चलता रहूँ  वो दिखा रास्ता ।।

मेरी ग़ज़लों में देखो तो दिख जाएगा ,
वो जिसे  देखो  मैं कह रहा रास्ता ।।

देव अक्सर मुझी से ही कहता है ये ,
तू भी बढ़ चल कि ये बढ़ रहा रास्ता ।।


तारीख: 18.10.2017                                     देव मणि मिश्र




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