जहाँ हो राज जनता का बगावत कौन करता है
जरा सी भूल पर यारों शिकायत कौन करता है ।
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बदल लहजा गया है अब जहां में आदमियों का
अदब में सर झुकाने की भी जहमत कौन करता है ।
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अगर है प्यार मुझसे ही जताओ भी जरा तुम तो
मुझे भी ये पता चल जाए महब्बत कौन करता है ।
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खुदा की हो नज़र जिसपर उसे किस बात का है डर
नज़र उसपर उठाने की हिमाकत कौन करता है ।
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गरीबी वो मिटाने को मिटा देते गरीबों को
अमीरी अपनी लुटाकर सियासत कौन करता है ।