क्या बात है कि घबराए नज़र आते हो

shayari gazal sahitya manjari
क्या बात है कि घबराए नज़र आते हो
अपने ही घर  में पराए  नज़र आते हो

ना तो कोई बात,ना ही कोई मुलाक़ात
दीवार पे चित्र से सजाए नज़र आते हो

सब तो पा लिया है अपनी जिन्दगी में
तो  भी क्यूँ तूफाँ उठाए नज़र आते हो

कहने को जोड़ रखा है अपनी माटी से
सूखे  पौधा सा मुरझाए नज़र आते हो

अपनी ही देहरी पे छाता करके बैठे हो
किसी सावन से रूलाए नज़र आते हो

कि  तुम और रूठ जाओ हरेक बात पे
बस उसी तरह से मनाए नज़र आते हो


तारीख: 02.01.2024                                    सलिल सरोज




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