उठो, मौसम को ज़रा आज़मा कर देखो,
तुम भी फूलों के पास जा कर देखो ।
बात करते हो लिखने-लिखाने की अगर,
पहले कुछ दर्द को तुम गा कर देखो ।
पैर रखने से पहले सोचो तो ज़रा,
आग लग जाए ना तीली को जला कर देखो ।
सिर्फ तेरे ही घर का ये वाक्या तो नहीं,
तुम ज़रा दूसरों के घर जा कर देखो ।
यूँ ही घबराए लोगों पे क्या हिम्मत दिखाना,
हिम्मती हो तो उनके लिए घबरा कर देखो ।
शुक्र है फिर से सर्दी का मौसम आया,
अब ज़रा देर से घर आ कर देखो ।
इश्क़ तो चीज़ है मिलने-मिलाने की "सहर",
तुम भी इस सिलसिले में आ कर देखो ।