मुहब्बत में ऐसी सजा दे गया है

मुहब्बत में ऐसी सजा दे गया है
मेरा यार मुझको कज़ा दे गया है ।

नही अब मुझे डर है इन आंसुओ का
दर्दे दिल की मेरे वो दवा दे गया है ।

लगी आग दिल में बुझी थी बमुश्किल
बुझी आग को वो हवा दे गया है ।

मुझे आज रोते जो देखा था उसने
रहूँगा न गम में दुआ दे गया है ।

गिरी बूंद बारिश की पहली गगन से
बहारों को वो भी मज़ा दे गया है।

तेरा रंग चाहा था मैंने तो लेकिन
मुझे रंग तू फिर ज़ुदा दे गया है ।

गज़ब थी कहानी रिशू और तेरी
नही जो मिटा फलसफा दे गया है ।


तारीख: 18.06.2017                                    ऋषभ शर्मा रिशु






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