मुहब्बत में ऐसी सजा दे गया है
मेरा यार मुझको कज़ा दे गया है ।
नही अब मुझे डर है इन आंसुओ का
दर्दे दिल की मेरे वो दवा दे गया है ।
लगी आग दिल में बुझी थी बमुश्किल
बुझी आग को वो हवा दे गया है ।
मुझे आज रोते जो देखा था उसने
रहूँगा न गम में दुआ दे गया है ।
गिरी बूंद बारिश की पहली गगन से
बहारों को वो भी मज़ा दे गया है।
तेरा रंग चाहा था मैंने तो लेकिन
मुझे रंग तू फिर ज़ुदा दे गया है ।
गज़ब थी कहानी रिशू और तेरी
नही जो मिटा फलसफा दे गया है ।