सवेरे उठते ही कहानी बदल जाती है

सवेरे उठते ही कहानी बदल जाती है
रातो-रात इनकी मंज़िल बदल जाती है

ये इंसान ही है या है कोई गिरगिट
पल भर में जो इनकी सूरत बदल जाती है

मुर्शिद थक गया इशारा करते करते
हर कदम पर जो राहे बदल जाती है

अपने ही शहर में अजनबी कहलाते है
अपनी ही दहलीज़ पर, इनकी शाम हो जाती है


 #मुर्शिद- Guide


तारीख: 16.07.2017                                    अंकित अग्रवाल




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