बंगला-एक प्रेम कथा

 

रिश्तों की जमा पूंजी को केवल नेता प्रजाति के जीव ही उसे जेड श्रेणी सुरक्षा में दबोच कर संभाल सकते है। नेताओ की एक बार किसी वस्तु-व्यक्ति से आँखे चार हो जाए तो फिर उसे नेताओ का प्यार पाने के लिए दो-दो हाथ नहीं करने पड़ते क्योंकि वो पहले से ही नेताओ का दिल चुराकर नो-दो-ग्यारह हो चुका होता है। नेता अक्सर अपने कुर्सी प्रेम के लिए  बेवजह कुख्यात कर दिए जाते है लेकिन नेताओ का दिल इतना बड़ा होता है कि कुर्सी से प्रेम करने के बाद भी उनके दिल मे कई लीटर प्रेम अनयूज़्ड पड़ा रहता है जिसे अगर समय पर ठिकाने नहीं लगाया जाए तो महामारी फैलने का खतरा रहता है।

नेता और कुर्सी की प्रेम कहानी के कोलाहल में, नेताओ के बंगले के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप की गूंज, चर्चा और स्पीकर में नही आ पाती है। कुर्सी के साथ प्रेम संबंध, नेताओ की घोषित संपत्ति की तरह होता है जिसे वे चुनावी हलफनामे में दर्शाते हैं ज़बकि बंगले के प्रति उनका सॉफ्ट कॉर्नर  काले धन की तरह होता है जो तब तक जनता के सीसीटीवी की चपेट में नहीं आता ज़ब तक उस पर खतरा और लालच ना मंडराने लगे।

नेता भले ही बंगले के साथ अपने प्रेम को अपने एजेंडे की तरह गुप्त रखे लेकिन बंगला, नेताजी को पतिव्रता नारी की तरह अपने प्रेम में जकड़े रखता है। कुर्सी प्रेम के चलते भले ही नेताजी बंगले पर ज़्यादा स्नेह और पैसा नही लुटा पाते हो लेकिन फिर भी बंगला, एकड़ के हिसाब नेताजी के लिए निस्वार्थ प्यार फैलाए रहता है। बंगला नेताजी के उन सभी लेन-देन का गवाह होता है जो नेताजी समय और सद्भाव की कमी के कारण अपने कार्यालय में करने से चूक जाते है। बंगला भले ही सरकारी संपत्ति हो लेकिन नेताजी के प्रति उसका प्रेम पूर्णतया गैर-सरकारी और गोपनीय होता है। बंगला उन सभी मुलाकातो का भी लेखा-जोखा रखता है जो आदरणीय नेताजी जनता की समस्याओं को सुलझाने के लिए उलझे हुए लोगो से करते है।

नेता और बंगला उस गाड़ी के दो पहिए होते है जिन पर राजनीती सवार होकर जनसेवा मार्ग से गुजरते हुए लोक-कल्याण स्टेशन तक पहुँचती है। अगर इन दोनों पहियो को जुदाई का ज़हर दे दिया जाए तो इस रासायनिक क्रिया से संवैधानिक संकट की सिजेरियन डिलीवरी होगी और इसका मातृत्व सुख असामाजिक तत्वों तक पहुँचेगा।

बंगले से प्रेम, नेताजी का हृदयतांत्रिक अधिकार होता है जिसे सविंधान की कोई भी धारा, नैतिकता के नदी-नाले में  नहीं बहा सकती है। नेताजी के बंगले में गृह प्रवेश करते ही बंगला भी नेताजी के दिल मे हफ्ता या पखवाड़ा चुकाए बिना अतिक्रमण कर लेता है। नेताजी भले ही बंगले में विश्राम करते हो लेकिन बंगला, नेताजी के दिल के अलावा कही भी चैन  बरामद नहीं कर पाता है। बंगला और नेताजी का साथ भले ही सात जन्मों के लीज एग्रीमेंट से ना बंधा हो लेकिन जनता की सेवा से उपजे गुरुर की रस्सी से तो बंधा ही होता है। ये रस्सी "रहिमन धागा प्रेम टाइप" की नही होती है कि आसानी से छिटक जाए, इन्हें तोड़ने के लिए कोर्ट को अपने नोटिस की कैंची पर धार चढ़ानी पड़ती है।

सत्ता आत्मा है, वो चुनाव के बाद एक दल का शरीर छोड़कर दूसरे दल में प्रवेश करती है। सत्ता से हाथ धो बैठने के बाद नेताजी का बंगले की टोंटी से हाथ धोने का अधिकार भी चला जाता है। नेताओ को बंगला खाली करने के लिए प्रताड़ित करना हमारे भरे-पूरे लोकतंत्र का सबसे ख़ौफ़नाक पहलू है। हमारा लोकतंत्र प्यार की ईंट और विश्वास के सीमेंट का सहारा उधार लेकर अपने पैरों पर खड़ा है, अगर वो नेताजी के बंगला प्रेम की इज़्ज़त नहीं कर सकता तो उसे लोकतंत्र का खादी कुर्ता उतार कर तानाशाही का टीशर्ट  बिना इस्तरी किए ही पहन लेना चाहिए।

सालो तक अपने प्यार से बंगले को लीपने-पोतने के बाद भी नेताजी को बंगला हथियाने का अधिकार नही दिया जाना लोकतंत्र के मानवीय मूल्यों का उपहास है जो लोकतंत्र की जड़ो में "मठ्ठा-शेक" डालने का काम करता है। लोकतंत्र के मानवीय मूल्यों हास ही नेता जी को अपना अमानवीय मोड एक्टिव करने के लिए प्रोत्साहन का रिचार्ज उपलब्ध कराता है।

बंगले से बेधखल होने की सूचना मिलने के बाद नेताजी का दिल और बंगला टूटना दोनो वाजिब है। टूटे दिल से नेता जी  बंगले में बोये गए अपने प्यार के बीज को जड़ सहित उखाड़ कर अपने नए आवास पर ले जाना चाहते है क्योंकि नेताजी के चरण बाहर पड़ने के बाद भी बंगले को नेताजी के प्यार की शरण देना अवैध है। नेताजी का प्यार उनकी विचारधारा की तरह ही बहुत फ्लेक्सिबल होता है, वो टोंटी से भी लीक होता है और टाइल के साथ फिक्स भी हो जाता है इसीलिए हर वो चीज़, जो नेताजी का प्रेम चख चुकी है उसे नेताजी को अपने साथ उखाड़ ले जाने का पूरा अधिकार है। नेताजी का उखाड़ने का अधिकार, वन-वे ट्रैफिक की तरह होता है क्योंकि  बंगला उखाडू नेता जी का, सविंधान और न्यायपालिका कुछ नहीं उखाड़ पाती है।


तारीख: 07.04.2020                                    अमित शर्मा 









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