बेटी

निखर जाती  बेटी के 
हाथो की सुन्दरता 
चार-चाँद लगाती 
जब लगी हो हाथो में मेहंदी ।

मेहंदी ,रोसा और बेटी 
लगती जेसे बहन हो आपस में 
महकती ,निखरती जाए 
जब लगी हो हाथों में मेहंदी ।

मेहंदी भी जाती है बेटी के 
संग ससुराल 
बाबुल की यादों के आंसू केसे पोंछे 
जब लगी हो हाथों में मेहंदी ।

जब न होगी बेटियाँ 
तो किसे लगायेंगे मेहंदी
होगी बेटियां तब ज्यादा ही रचेगी 
जब लगी हो हाथों में मेहंदी ।


तारीख: 06.06.2017                                    संजय वर्मा "दर्ष्टि "




रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है