ढूंढा हमने तुम्हें


ढूंढा हमने तुम्हें
 दिन के उजालों में 
रातों के अंधेरों में 
सूरज की धूप में 
चन्दा की छांव में 
पर मिलें तुम 
मन की गहराइयों में 
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ढूंढा हमने तुम्हें 
बसंत के सवेरों में 
पतझड़ की शामों में 
कोयल की चहचाहट में 
पेड़ों के पत्तों में 
पर मिलें तुम 
पक्के इरादों में 
--
ढूंढा हमने तुम्हें 
बरसा की बूंदों में 
नदियों के किनारों में 
बगीचे के फूलों में 
खेतों की फसलों में 
पर मिलें तुम 
ईमानदार इन्सानों में 
--
ढूंढा हमने तुम्हें 
जहाजों की उड़ानों में 
रेल के डिब्बों में 
बसों के अड्डों में 
सड़कों के गड्ढों में 
पर मिलें तुम 
सच्ची चाहतों में 
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ढूंढा हमने तुम्हें 
सुंदर मंदिरों में 
मस्जिद की सीढ़ियों में 
धार्मिक पुस्तकों में 
व्रतों और उपवासों में 
पर मिलें तुम 
जन की सेवा में 
 


तारीख: 07.07.2017                                    आरती




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