हे नारी


हे नारी...
सदियों से श्रंगार हो तुम
रण में चंडी अंगार हो तुम
जननी बन रचती जीवन
लक्ष्मी बन सजती आंगन
प्रिय प्रियतमा संगनी तुम
स्नेह निछावर भगनी तुम
तुम चंचल बेटी स्वाभिमान
मार्त शक्ति की हो पहचान
अबला सबला सर्वविद्धमान
हर परिस्थिति लेती संज्ञान
जीवनदायनी आभार हो तुम
प्रेम प्रणय स्नेह दुलार हो तुम
संबंधों की तुम मन मोहिनी
कभी तुम दुर्गा रूप विनाशनी
तुम चंडी बन हर लेती रण
जब ले लेती संघार का प्रण
रिश्तों की निःस्वार्थ समर्पण
सब का सब, सब पर अर्पण
खुशियां तीज त्योहार हो तुम
प्रत्येक स्वरूप प्यार हो तुम
हे नारी....
सदियों से श्रंगार हो तुम
रण में चंडी अंगार हो तुम


तारीख: 06.04.2020                                    नीरज सक्सेना









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