हिंदी मेरी पहचान है,
इससे ही मेरा नाम है।
मान है, अभिमान है,
ज़िस्म मैं, तू जान है।।
मोती यदि प्रत्येक है,
उनको पिरोयी एक है।
अज्ञान मैं, तू ज्ञान है,
अंधा हूँ मैं, प्रकाश है।।
आज़ादी का बिगुल भी
तुझसे, तेरे ही राग से
अनेकता में एकता की
सुर भी है और राग भी।।
वसुधैव कुटुम्बकम की
ईंट भी और नींव भी
धर्मगुरु के गूंज की
आधार भी स्तंभ भी।।
इज़ाद नाम हिंद भी,
मैं हूँ तेरे फ़रियाद से
इज़ाद मेरे कौम का
भारतीय अस्तित्व से।।