यह एक प्रेरणा दायक कविता है। इसके माध्यम से कवियित्री अपनी छाया,गति,अभिलाषा,ज्वाला,और अपनी वीणा को पुकारती है, और चाहती है कि तुम चाहे बहती धार के साथ बह आना या संघर्ष कर अर्थात् तैरती हुई आना परन्तु जीवन पथ पर चलते हुए तुम्हारा लक्ष्य एक ही हो,जीवन के सुर संगीत को पहचाना और निर्मल धारा बनना । इसी भाव को प्रदर्शित करती है यह कविता "जीवन-संगीत"
‘ओ’ मेरी निर्मम छाया
‘ओ’ मेरे हृदय की प्रसृत गति
‘ओ’ मेरे मन की स्वच्छन्द अभिलाषा
‘ओ’ मेरे नेत्रों की---
---निशंक दहकती ज्वलंत- ज्वाला
‘ओ’ मेरे मुख के---
---स्वररहित अंतरहित अविराम वीणा
तू बह चल
या
तू तैरती चल
पा ले जीवन संगीत
बन जा निर्मल धारा