कहता हू कविता आपसे

कुछ शब्द चुनकर ख़ास से
कुछ मीठे कुछ उदास से
विरह की आग में जलकर
जो हो गए है राख से
कहता हू कविता आपसे

कुछ शब्द मायूस करते है
कुछ काटों जैसे चुभते है
कुछ रूठे हुए दिलो में भी
चाहत के जैसे खिलते है
न दूर से न ही पास से
बस अपने आस-पास से
कहता हू कविता आपसे

घनघोर उदासी छायी थी
जब हमने कविता पायी थी
कविता मे चुन जाने को भी
शब्दो ने लड़ी लड़ाई थी
कुछ चुभ जाते है फांस से
कुछ लगते मन की आस से
कहता हू कविता आपसे
 


तारीख: 10.07.2017                                    देवेन्द्र गर्ग




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