सर झुकाए हू खड़ा
मैं खुद पे गढ़ता दोष हूँ
मैं अभी खामोश हूँ
शांत लहरों में दबा
मैं समुद्र का आक्रोश हूँ
मैं अभी खामोश हूँ
मंद हवा में बह रहा
मैं तूफ़ान का सन्देश हूँ
मैं अभी खामोश हूँ
रण से पहले दिए गया
मैं गीता का उपदेश हूँ
मैं अभी खामोश हूँ