वही प्यार के झूठे वादे हैं
वही झूठ की कसमें हैं
ख़त में उसके सच नही है
बस झूठ मूठ की रस्मे हैं।
दिल को मेरे तोड़ दिया है
उसे जोड़ने का वादा है
बस थोड़ी सी सच्चाई होती
पर उसका कुछ और इरादा है।
मेरे लिए तो इसमें गम ही है
पर उसके लिए कहानी है
दल में उसके चालाकी है
पर मेरे आँख में पानी है।
क्या छोड़ा क्या याद किया है
ख़त में सब लिख डाला है
खुशियाँ होंगी उसकी इसमें
मेरे लये तो बस दर्द का प्याला है।
मैं तो सब भूल गया था
उसने उसे दोहराया है
क्या करूँ मैं इस दिल का
जो कह रहा है बस
मेरे महबूब का ख़त आया है।