बारिश किसी की है रोमानी
तो कोई बादल से रूठे रहते हैं
उनको क्यूँ सावन न हो बैरी
जिनके घर मिट्टी के होते हैं ।
दिल के छाते में अरमान ढ़के
हथेली सर पे रक्खे रहते हैं
नहीं उनकी कोई ख्वाईश करारी
जिनके घर मिट्टी के होते हैं ।
तिनका तिनका घास का जोड़े
पेट गीले सकोरों से रोते हैं
वो आटा सीने से बाँधके रहते
जिनके घर मिट्टी के होते हैं ।
इक टपटपाती छत के नीचे
कुछ गीले बच्चे सोते हैं
झमझम में भी सूखा जीवन
जिनके घर मिट्टी के होते हैं ।