पन्ने पीले पड़ गए

पन्ने पीले पड़ गए हैं,

शब्द अब भी बिल्कुल वैसे ही हैं

लगता है अभी-अभी लिखे गए हों

 

मेरा लिखा तुम्हें पसंद था कि नहीं,

ये तो अब भी नहीं पता

लेकिन मेरी डायरी तुम्हें बहुत पसंद थी

 

तुमने कहा था,

"कभी-कभी तुम्हारी डायरी मुझे आइना लगती है"

एक दिन चुपके से तुमने

'आई लव यू' लिख दिया था

शायद तुम्हें पता था,

कि हमारा साथ मुनासिब नहीं

इसिलए तुम खुद को यूँ छोड़ गई थी

 

आईने में,

आज भी उस 'आई लव यू' में उतनी ही दमक है

हाँ, पन्ने थोड़े पीले पड़ गए हैं

आईने पर थोड़ी धूल है

लेकिन चेहरे पर अब भी वही चमक है।


तारीख: 07.07.2017                                    विनायक शर्मा




रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है