प्रेम समन्वय
प्रेम समर्पण
प्रेम भावनाओं का अर्पण
प्रेम सत्य है
प्रेम अर्च्य है
प्रेम कामनाओं का दर्पण
प्रेम जहाँ पल भर मिल जाए,
ऊम्र वहां छोटी पड़ जाए .
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प्रेम वाद है
निर्विवाद है
सभी रूढ़ियों से यह ऊपर
प्रेम गीत है
प्रेम साज़ है
सुर-बंधनों से है ये हटकर
नयनों से सिंचित वो रस, जो
नवरस का आभास दिलाये
प्रेम जहाँ पल भर मिल जाए
उम्र वहां .......................
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प्रेम साध्य है
प्रेम साधना
हर दिल का यह एक स्वप्न है
प्रेम दिशा है
प्रेम क्षितिज है
मेघ-तड़ित सा एक रत्न है
प्रेम है ख्वाहिश
प्रेम अभीप्सा
जीने का अरमान सजाये
प्रेम जहाँ पल भर मिल जाए
उम्र वहां .......................
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प्रेम है कविता
प्रेम काव्य है
ह्रदय-धरातल का स्वभाव है
प्रेम आदि है
प्रेम अंत है
भक्ति बना यह एक भाव है
यह घनघोर, घनी रातों में
दिव्य दिया सा जलता जाए
प्रेम जहाँ पल भर मिल जाए
उम्र वहां .......................