सर्वाधार–माँ

 

माँ, सर्वाधार
अंधेरे में उजाले की ज्योति
सुख की बयार
दुख को जलाने वाली
महाकल्याणी।


माँ, सर्वाधार
सत्यम्, शिवम्, सुंदरम्
प्रभु की शक्ति
विविध रूप
दया का कूप।


माँ, सर्वाधार
जगत जननी
कष्ट सह जाती
‘स्व’ जला ‘पर’ सहलाती
ममताधानी।
माँ, सर्वाधार।
 


तारीख: 18.08.2017                                    अमर परमार




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