सारा जीवन
अंधेरे कोने में , बीत जाने पर
एक निश्चित दुर्घटना के बाद
मीडिया पर सुर्खियां है , वह,
भाषा को लगी जुबान ने
आगे बढते समय के
किसी कांटे पर , टांग दिया है , उसे,
दिन में बात सुनाने पर
अपना कोई , रास्ता भूल जाता है
इसी लोक विश्वास पर
पकड लिया है, अंधेरा सभी ने,
बात अभी पुरानी नहीं हुई
कि सडक पर पडे आदमी के ऊपर
छाप दिया गया था नक्शा देश का
निर्धारित कर दिया गया था भविष्य
जनता का,
राशन की लम्बी कतारों में
प्रत्येक आदमी ने , अपनी स्थिति के अनुसार
अंधा हो गया था
ठहर गया था , किसी-न-किसी
राशन कॉर्ड की तशदीकशुदा मौहर के
के दायरों में,
अंतिम श्वांस के लिए , असपतालों में
द्वार खुले हैं , और आराम से देखा जा सकता है
छत पर घूमते पंखे को देखकर
ऊब का आकार ,
एक कोने में पडे हुऐ
कूडेदानों में तुम्हें , किसी न किसी
नवजात शिशु का शव , मिल ही जायेगा,
इन सब में कुछ नया नहीं है
आज की व्यवस्था के दायरों में
तुम्हें उसके मुहँ से
वही बास मिलेगी , जो तुमने
कल्पना में न सोचकर भी
अपनी नाक में कभी अनुभव की थी ।