हजारों शाम जलती हैं
अँधेरी रात में अक्सर ,
हजारों रात जलती हैं
उरी की बात में अक्सर ।
तुम्हारी याद आती है
कहानी रात में अक्सर ।
सिंदूर का शौक अभी है
तुम्हारी याद में अक्सर ,
सिहर जाती अकेली हूँ
इन ख़यालात में अक्सर ।
तुम्हारी याद आती है ,
अकेली रात में अक्सर ।
पुत्र शौर्य गरजता है ,
मेरी कोख में अक्सर
बूढी माँ सिसकती है ,
यूं हालात में अक्सर ।
तुम्हारी याद आती है ,
वीरानी रात में अक्सर ।
खाकी में ही आते हो
मुलाकात में अक्सर ,
तिरंगे से लिपटी हुयी
बड़ी-बारात में अक्सर ।
तुम्हारी याद आती है ,
पुरानी रात में अक्सर ।