अब गलतियां भी संभलकर करो

दूसरों की मज़बूरियों से,
अपना उल्लू सीधा करने की ताक में रहते हैं ।
कोई गलती भी करना तो, संभल के करना दोस्तों,
कुछ लोग फायदा उठाने की फ़िराक में रहते हैं ॥

मीठी – मीठी बातें कहते हैं ,
धीरे – धीरे जाल में फंसाते हैं ।
गलतियों से डरने वालों को,
झूठी सांत्वनाएं देकर हंसाते हैं ॥

एक बार बहल जाने पर,
बरबाद किये बिना नहीं छोड़ते हैं ।
सागर में बहुत दूर ले जाकर,
मझधार में मुख मोड़ते हैं ॥

आदमी पछताता, ठगा हुआ सा,
अपना सा मुँह लेकर रह जाता है ।
उसके साथ क्या बीती,
किसी से कुछ न कह पाता है ॥

गलतियां करो तो स्वीकार करो,
फल से डरकर मत भागो ।
गलतियां नहीं छुपाओ, नहीं किसी से कहो छुपाने को,
अपितु सबको सच बताओ और माफ़ी माँगो ॥


तारीख: 15.06.2017                                    विवेक कुमार सिंह




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