कुछ दरवाजे अजीब होते है
हमेशा ही बंद मिलते हे
रहती है तो आस-पास सिर्फ ख़ामोशी
पेड़ो से गिरे सूखे पत्ते
पुराने अखबारो का ढेर
पहरा देती दीवार पर छिपकली
घोसले मे बैठी चिड़िया
पता नहीं कब तक शांति रहेगी यहाँ
कभी सुनाई नहीं देती पायल की छम-छम आवाज़
चूड़ियों की खनक
मीठे पकवानों की मीठी सी महक
दीवारे एक दूसरे को ख़ामोशी से देखती है
पता नहीं कौन सी सज़ा काट रही है कब से
बाहर बैठा श्वान अपनी पूँछ हिलाता रहता है
किसी रोटी की आस मे
छत पर से गिर रही है सफ़ेदी
की बिखरती धूल
एक तरफ बना मकड़ी का जाला
दूसरी तरफ खिले हुऐ अनचाहे फूल
कुछ दरवाजे अजीब होते है